Hindi, asked by AayushFFYT, 7 months ago

bheed mein khoya hua aadmi paath mein aayi samasyaon ka varnan 500-600 shabdon mein karte hue unke samadhan ke upaaye bataein


In hindi please

Answers

Answered by boy202055
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Answer:

क) पंद्रह दिन पहले आरक्षण के लिए …………………… से ही लोगों की लम्बी कतार खड़ी थी |

१) लेखक कहाँ जा रहा था और क्यों ?

उत्तर: लेखक के करीबी मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी थी | लेखक विवाह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जा रहा था |

२) लेखक ने अपने मित्र का क्या प्रारंभिक परिचय दिया है ?

उत्तर: लेखक के मित्र का नाम बाबू श्यामलाकांत है | वे लेखक के अभिन्न मित्र हैं | सीधे-सादे, परिश्रमी, ईमानदार किन्तु निजी जीवन में बड़े लापरवाह | वे आयु में लेखक से छोटे हैं | उन्होंने अपने घर में बच्चों की फ़ौज खड़ी कर ली है |

३) स्टेशन पर आरक्षण क्यों नहीं हो पाया ?

उत्तर: लेखक को अपने मित्र बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए हरिद्वार जाना था | वे आरक्षण कराने के लिए पंद्रह दिन पहले स्टेशन पर गए किंतु वहाँ लंबी कतार थी | घंटो प्रतीक्षा करने के बाद उनकी बारी आई तो उन्हें पता चला कि किसी भी गाड़ी में स्थान नहीं है | अतः उन्हें आरक्षण नहीं मिल पाया |

४) यात्रा के दिन लेखक को कैसे अनुभव प्राप्त हुए ?

उत्तर: लेखक का हरिद्वार जाना जरूरी था | लेखक को भीड़ के कारण आरक्षण नहीं मिला था, अतः उन्हें बिना आरक्षण के ही निकलना पड़ा | जब गाड़ी आयी तो उसमें तिल धरने की भी जगह नहीं थी | प्लेटफार्म पर चढ़ने वालों की भीड़ भारी धक्कम-धक्का करने में लगी हुई थी | कुली ने लेखक को खिड़की से ट्रेन के अंदर धकेला न होता तो ट्रेन छूट जाती | उन्हें लक्सर में गाड़ी बदलनी थी | वहाँ भी गाड़ी भरी हुई थी | लोग छतों पर चढ़कर यात्रा कर रहे थे |

(ख) “भाई नाम तो तुम्हारा लिख लेता हूँ पर जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा मत करना |”

१) उपर्युक्त संवाद किसने, किससे और कब कहा ?

उत्तर: श्यामलाकांत बाबू का बड़ा लड़का दीनानाथ रोजगार कार्यालय में नौकरी के लिए अपना नाम लिखाने गया था | उस समय वहाँ के अधिकारी ने उसका नाम तो लिख दिया पर साथ में कह दिया कि वह जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा न रखे क्योंकि उसकी योग्यता वाले हजारों लोग पहले से ही कतार में हैं |

२) लेखक ने दीनानाथ को नौकरी के प्रसंग में क्या परामर्श दिया ?

उत्तर: लेखक ने अपने मित्र श्यामलाकांत के बड़े पुत्र दीनानाथ को परामर्श दिया कि आज-कल जगह-जगह पर रोजगार कार्यालय खुल गए हैं | अतः नौकरी पाने के लिए दीनानाथ को उनका सहारा लेना चाहिए |

३) रोजगार कार्यालय की दशा का वर्णन करें |

उत्तर: रोजगार कार्यालयों में रोज हजारों बेरोजगार नाम लिखाने जाते हैं | नाम लिखवाने के लिए पूरा दिन कतार में खड़ा रहना पड़ता है | वहाँ के कर्मचारी नाम तो लिख देते हैं पर साथ में यह भी बता देते हैं कि उन्हें जल्दी नौकरी नहीं मिलनेवाली क्योंकि पहले से ही बहुत लोग कतार में लगे हुए है |

४) लेखक उक्त प्रसंग द्वारा क्या कहना चाहता है ?

उत्तर: उक्त प्रसंग द्वारा लेखक बताना चाहता है कि हमारे देश में हो रही बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि के कारण हर चीज कम पड़ रही है | देश के विकास के लिए जो भी किया जा रहा है, बढ़ती जनसंख्या के कारण वो कम पड़ रहा है | हर जगह बस भीड़ ही भीड़ | देश में संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं | जनसंख्या विस्फोट के कारण लोगों का जीवनस्तर बहुत नीचे आ गया है | ऐसा लगता है जैसे लोगों का जीवन इस भीड़ में कहीं खो गया है |

ग) मैं उनकी दुर्बल काया और पीला चेहरा देख कर स्तब्ध रह गया |

१) उपर्युक्त पंक्ति का प्रसंग लिखिए |

उत्तर: लेखक अपने मित्र श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे | वहाँ उन्होंने श्यामलाकांतजी की पत्नी तथा बच्चों को देखा | जलपान देते समय तीन लड़कियाँ तथा दो छोटे लडके अपनी माँ के साथ आये | सबके चेहरे पीले पड़ चुके थे और शरीर दुर्बल हो गया था | ऐसा लग रहा था जैसे वे बीमार हो | यह देखकर लेखक स्तब्ध रह गया |

२) लेखक को मित्र की पत्नी ने बीमारी के बारे में क्या कहा ?

उत्तर: लेखक को श्यामलाकांतजी की पत्नी ने कहा कि उनका परिवार बड़ा है | हर दिन कोई न कोई बीमार रहता ही है | अस्पताल जाने पर वहाँ भी बहुत भीड़ रहती है | इतने ज्यादा मरीज है कि डॉक्टर उनका ईलाज ठीक से कर ही नहीं पाता | ऐसा लगता है सारा शहर अस्पताल में उमड़ पडा है |

३) अस्पतालों की बुरी हालत क्यों है?

उत्तर: देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है | उसके मुकाबले अस्पताल तथा डॉक्टर बहुत कम है | इस वजह से अस्पतालों में भारी भीड़ रहती है | रोगी तथा उसके संबंधी डॉक्टर को मधुमक्खी के छत्ते की तरह घेरे रहते हैं | डॉक्टर को इतना समय ही नहीं मिलता कि वो रोगी व्यक्ति का ठीक से ईलाज कर सके | अस्पतालों में बढ़ती भीड़ के कारण उनकी हालत खराब हो गयी है |

Answered by franktheruler
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भीड़ में खोया हुए आदमी पाठ में अाई हुई समस्याओं का वर्णन करते हुए उन समस्याओं का समाधान निम्न प्रकार से बताया गया है

- पहली समय बताई गई है बड़ा परिवार

लेखक का नाम लीलाधर शर्मा पर्वतीय है। लेखक के एक अभिन्न मित्र है श्यामलाकांत। वे

लेखक से उम्र में छोटे है परन्तु उन्होंने परिवार नियोजन का पालन न करते हुए बच्चों की फौज खड़ी कर दी है। इस परिवार में हर समय कोई न कोई समस्या रहती है।

अतः बड़ा परिवार आज की सबसे बड़ी समस्या है जिसका वर्णन इस पाठ में किया गया है।

इस समस्या का समाधान है कि परिवार नियोजन का पालन करते हुए केवल एक या दो बच्चों को जन्म दिया जाए

- लेखक ने दूसरी समस्या बेरोजगारी बताया है। बेरोजगारी का मुख्य कारण इस देश की बढ़ती जनसंख्या है। श्यामलकांत जी के बड़े बेटे दीनानाथ को दो वर्षो से कोई नौकरी नहीं मिल रही।

इस समस्या का समाधान है जनसंख्या कम करनी होगी व रोजगार के लिए नए उद्योगों का आरंभ करना होगा।

- तिसरी समस्या लेखक ने आवास की कमी बताई है।

लेखक के मित्र श्यामालाकांत को बड़ा घर नहीं मिला व महंगाई के कारण उसने दो कमरों का घर ही लिया। छोटे से घर में दस लोग रहते थे। इस समस्या का कारण भी बढ़ती जनसंख्या है।

समाधान यह है कि परिवार छोटा हो तो समस्याएं कम हो जाएंगी।

- चौथी समस्या को बताते हुए लेखक कहते है कि बड़ा परिवार होने के कारण उस परिवार के सदस्य कुपोषण का शिकार हो जाते है, जैसे लेखक के मित्र श्यामलाकांत जी की पत्नी दिन रात काम करते रहने व स्वयं का ख्याल न रख पाने के कारण कमजोर हो गई थी व बीमार रहती थी ।

इस समस्या का समाधान है ताजे फल सब्जियां खाइए व स्वस्थ रहिए

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