Bhikshu bankar ghumane wale raja koun the
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सद्गुरु सुना रहे हैं बौद्ध भिक्षुओं की कहानी जब उनके भिक्षा-पात्र में मांस का एक टुकड़ा आ गिरा। एक तरफ उन्हें जो मिले उसे खा लेने की शिक्षा दी गई थी तो दूसरी तरफ मांसाहर वर्जित था। फिर क्या हुआ फैसला ?
उस दिन वे दोनों भिक्षु पूरे शहर में घूमे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। वे लौट रहे थे। उसी समय एक कौवा मांस के एक टुकड़े को अपने पंजों में दबाए आसमान में उड़ रहा था, अचानक उसकी पकड़ कमजोर पड़ी और वह मांस का टुकड़ा सीधा आकर भिक्षु के पात्र में गिरा। उन्होंने देखा- मांस का एक टुकड़ा !
उन दिनों गौतम बुद्ध के पास जो भी आता उसे भिक्षु बनने की दीक्षा मिल जाती थी। आने वालों में बहुत से लोग राजा थे या ऐसे समुदायों से आते थे, जहां मांस खाना सामान्य बात थी। क्योंकि वे शिकारी थे। भिक्षु हमेशा जंगल में रहते थे। जब आपको भूख लगती है तो यह स्वाभाविक है कि आप किसी को मार कर खाना चाहते हैं। इसलिए बुद्ध ने एक नियम बना दिया कि भिक्षु मांस नहीं खाएंगे।
एक दिन दो भिक्षु शहर में भिक्षा मांगने गए। उस दिन उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि भिक्षुओं को अलग-अलग क्या मिलता है क्योंकि सभी भिक्षु आकर भोजन को बुद्ध के चरणों में रख देते थे। वह उस भोजन को बांट देते थे ताकि हर किसी को कुछ न कुछ मिल सके। उस दिन वे दोनों भिक्षु पूरे शहर में घूमे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। वे लौट रहे थे। उसी समय एक कौवा मांस के एक टुकड़े को अपने पंजों में दबाए आसमान में उड़ रहा था, अचानक उसकी पकड़ कमजोर पड़ी और वह मांस का टुकड़ा सीधा आकर भिक्षु के पात्र में गिरा। उन्होंने देखा- मांस का एक टुकड़ा ! आप जानते हैं कि मन हमेशा कोई न कोई बहाना ढूंढता रहता है। आप सुबह में देर से उठने के लिए नहीं ढूंढते? इसलिए भिक्षु गौतम के पास