Music, asked by komal5439, 3 months ago

bhimsen joshi ka jivan prichay likhiye (100/150) words​

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Answered by ALPHAPANDEY
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Pandit Bhimsen Joshi / पंडित भीमसेन जोशी एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। उन्होंने 19 साल की उम्र से गायन शुरू किया था और वे सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। वे अपने प्रसिद्ध भक्तिमय भजनों और अभंगो के लिए भी जाने जाते है।

अपने एकल गायन से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में नए युग का सूत्रपात करने वाले पंडित भीमसेन जोशी कला और संस्कृति की दुनिया के छठे व्यक्ति थे, जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्‍न’ से सम्मानित किया गया था। इसके आलावा भारतीय राष्ट्रिय अकादमी की संगीत नाटक अकादमी ने उनके सर्वोच्च पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी शिष्यवृत्ति से नवाजा था।

पंडित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। उन्हें संगीत के वाद्य जैसे हार्मोनियम और तानपुरा बजाना भी उन्हें काफी पसंद था। उन्हें संगीत के प्रति इतना जूनून था की राह चलते भजन मंडली के पीछे चल पड़ते थे। इससे उनके पिता काफी परेशान रहते और एक बार तो उन्होंने उसकी शर्ट पर भी लिख दिया था की, “अगर यह आपको मिले तो उक्त पते पर पहुंचा दें, यह शिक्षक जोशी का बेटा है।”

भीमसेन जोशी किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे। 1932 में वह गुरु की तलाश में घर से निकल पड़े। अगले दो वर्षो तक वह बीजापुर, पुणे और ग्वालियर में रहे। उन्होंने ग्वालियर के उस्ताद हाफिज अली खान से भी संगीत की शिक्षा ली। लेकिन अब्दुल करीम खान के शिष्य पंडित रामभाऊ कुंडालकर से उन्होने शास्त्रीय संगीत की शुरूआती शिक्षा ली।

भीमसेन जोशी ने अपने जीवन में दो शादियाँ की। उनकी पहली पत्नी उनके मातृक चाचा की बेटी सुनंदा कट्टी थी, जिनके साथ उनकी पहली शादी 1944 में हुई थी। सुनंदा से उन्हें चार बच्चे हुए, राघवेन्द्र, उषा, सुमंगला और आनंद। इसके आलावा 1951 में उन्होंने कन्नड़ नाटक भाग्य-श्री में उनकी सह-कलाकारा वत्सला मुधोलकर से शादी कर ली। वत्सला से भी उन्हें तीन बच्चे हुए, जयंत, शुभदा और श्रीनिवास जोशी। कुछ समय वे दोनों पत्नियों के साथ रहे, लेकिन बाद में उनकी पहली पत्नी अलग हो गयी और लिमएवाडी, सदाशिव पेठ, पुणे में किराये के मकान में रहने लगी।

संगीत नाटक अकादमी, पद्म भूषण समेत अनगिनत सम्मान के बाद 2008 में जोशी जी को ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया। उनके सम्मान इस प्रकार हैं –

सन 1972 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया।

‘भारत सरकार’ द्वारा उन्हें कला के क्षेत्र में सन 1985 में ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन 1999 में ‘पद्म विभूषण’ प्रदान किया गया था।

4 नवम्बर, 2008 को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्‍न‘ भी जोशी जी को मिला।

‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका था।

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