Bhindi anusvar ka ucharan kis pancham dhvani se hota hai?
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पिछले बुधवार को ‘शोले’ का वीरू मेरे सपने में आया और कहने लगा, ‘आलिम जी, सुना है कि आप सबको हिंदी सिखाते हो। हमको भी सिखा दो। हम बसंती को परेमपत्र लिखेंगे। बताओ, प्यारी बसंती लिखें कि प्यारी बसन्ती?’ मैंने कहा, ‘दोनों सही है – बसंती लिखो चाहे बसन्ती। बाक़ी इस मामले में ज़्यादा जानना हो तो मेरी अगली क्लास पढ़ लेना। अब तक तो तुम्हारे गाँव में भी नेटवर्क आ गया होगा। मोबाइल पर ही पढ़ लेना।’ वीरू इसका कुछ जवाब देता, इससे पहले ही सपना टूट गया।
चलिए, वीरू की इच्छा का सम्मान करते हुए आज हम बात करते हैं पाँच उच्चारणों वाली बिंदी की। आप कहेंगे कि यह क्या फिज़ूल की बात है क्योंकि बिंदी का तो एक ही उच्चारण होता है। लेकिन नहीं। शायद आपने ध्यान न दिया हो मगर इस बिंदी के पाँच उच्चारण हैं। व्याकरण की भाषा में इसे बिंदी नहीं, अनुस्वार कहते हैं मगर सोचिए, एक छोटा-सा डॉट और इतना बड़ा नाम। हम तो इसे बिंदी ही कहेंगे। वह कविता सुनी है ना –- हिंदी की चिंदी उड़ती थी, बिंदी कौन लगाता, भारत के साहित्यगगन में जो हरिचंद न आता। यह कविता किसकी लिखी हुई है, मुझे नहीं मालूम लेकिन है यह भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में जिनका लिखा मज़ेदार नाटक ‘अंधेर नगरी…’ आपने नहीं पढ़ा हो तो अवश्य पढ़ें। इस लिंक पर वह मिल जाएगा।
किसी शब्द में बिंदी कहाँ लगेगी, इसके बारे में एक बहुत ही आसान फ़ॉर्म्युला है लेकिन उसे जानने से पहले हम जानेंगे कि इस बिंदी के कौन-कौनसे उच्चारण हैं।
It is nna.....just like kancha