Hindi, asked by kirilkumar147, 7 months ago

Bholaram kam jiv ek vyangya hi nhi balki samaj ka ek darpan bhi hai

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Answered by tiwaridfire2003
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Answer:

नई कहानी आंदोलन के महत्वपूर्ण कहानीकार हरिशंकर परसाई की ‘भोला राम का जीव ‘ कहानी पर यह इकाई आधारित हैं। हरिशंकर परसाई कई दशकों तक अपनी व्यंग्यात्मक कहानियों और व्यंग्यलेखों के कारण चर्चा में रहे हैं। प्रस्तुत कहानी में सरकारी कार्यालयों में पनप रहे भ्रष्टाचार के कारण सामान्य व्यक्ति की बढ़ती हुई परेशानियों का मार्मिक चित्रण किया है। भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में मनुष्य की क्या हालत हो चुकी है। मानवीय संवेदनाएं नष्ट होकर मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त हो चुका है तथा भ्रष्टाचार के क्रूर व्यवहार को चुपचाप देखने और सहने के अलावा आम इंसान के पास दूसरा कोई साधन नहीं है। इस इकाई के अध्ययन के बाद आप :

  • भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के चरित्र को समझ सकेंगे;
  • नौकरशाही में बढ़ते भ्रष्टाचार के शिकंजे में आम आदमी की अवस्था कितनी असहाय और दयनीय हो जाती है, को रेखांकित कर सकेंगे;
  • परसाई जी की रचनाओं का उद्देश्य और सामाजिक परिवर्तन में इनकी भूमिका का विवेचन कर सकेंगे;
  • भ्रष्ट नौकरशाही की विसंगतियाँ, उसकी विरूपता और अमानवीय प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाल सकेंगे;
  • परसाई जी द्वारा प्रयुक्त व्यंग्यात्मक शैली की विशेषताओं और इसकी सामाजिक परिवर्तन में विशिष्ट भूमिका के मूल्याकंन कर सकेंगे;
  • व्यंग्य के सटिक प्रयोग द्वारा भ्रष्ट नौकरशाही की विरुपता को उजागर करने में कहानी की सफलता-असफलता पर आलोचनात्मक टिप्पणी कर सकेंगे।
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