bhrashta par nibandh
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प्रस्तावना: भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट+आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार पूरे देश में महामारी की तरह फैल रहा है। यह दीमक की तरह पूरे देश को धीरे-धीरे ख़तम कर रहा है।
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