Hindi, asked by gauri618, 1 year ago

bhrashtachar aur satarkta par nibandh

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Answered by s7388
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प्रस्तावना : भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। 

जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़े फैला रहा है। 

आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं जो भ्रष्टाचारी है। आज पूरी दुनिया में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना आदि। 
भ्रष्टाचार के कारण : भ्रष्टाचार के कई कारण है। जैसे 1. असंतोष - जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है। 

2. स्वार्थ और असमानता : असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं। 

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार : भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
जीवन का कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से मुक्त नहीं है। यदि हम इस वर्ष की ही बात करें तो ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो कि भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। जैसे आईपील में खिलाड़ियों की स्पॉट फिक्सिंग, नौकरियों में अच्छी पोस्ट पाने की लालसा में कई लोग रिश्वत देने से भी नहीं चूकते हैं। आज भारत का हर तबका इस बीमारी से ग्रस्त है। 
भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय : यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही छूट जाता है। 

जब तक इस अपराध के लिए को कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे। 

उपसंहार : भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का नाम बदनाम कर रहे हैं। 

अत: यह बेहद ही आवश्यक है कि हम भ्रष्टाचार के इस जहरीले सांप को कुचल डालें। साथ ही सरकार को भी भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। जिससे हम एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को सच कर सकें।

gauri618: thanks for your help
s7388: आपका स्वागत है।
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