Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

bhrashtachar par laghu katha likhiye

[story should be short and satisfactory]​

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Answered by Cutiepieannu
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मेरे घर के सामने लगे नल से प्रतिदिन एक दूधवाला अपने दूध के ड्रम में पानी मिलाता था । एक दिन जब मैंने उसे टोका तो वह अत्यंत सहजता से बोला ' दूध में पानी नहीं मिलाएंगे तो हमारा काम कैसे चलेगा।

सभी तो यही कर रहे हैं।' उसकी बेलाग बातों ने मुझे निरुत्तर कर दिया। बस इतना ही कह पाई, इसे ही कहते हैं ' चोरी और सीनाजोरी', वो भी खुद से ही। गौर से हम देखें तो पाएंगे कि समाज के हर वर्ग ने इसी फंडे को अपना लिया है, जिसे जहां जितना हाथ लग रहा है समेटने में लगा है। सही गलत का फलसफा बीते जमाने की चीज हो गई है। गली, मुहल्लों, गांव, शहर हर तरफ इसी कि फिक्र है कि कौन कितना बना रहा है। हजारपति से लखपति, लखपति से करोड़पति, करोड़पति से अरबपति और उससे भी आगे। इसका कहीं कोई जिक्र नहीं कि इन तमाम छोटे-बड़े धनकुबेरों ने रास्ता कौन सा अपनाया है। मतलब सिर्फ साध्य से है साधन कोई भी, कैसा भी हो सकता है। भ्रष्टाचार की बात चलने पर हम आमतौर पर नेताओं और मंत्रियों को कोसकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं। सोचने की जरूरत है क्या करीब सवा सौ करोड़ आबादी वाले देश में महज 545 सांसदों, कुछ हजार विधायकों, मंत्रियों....आदि के भ्रष्ट होने से पूरा राष्ट्र इस मकड़जाल में उलझ गया है?

निश्चित रूप से तमाम भ्रष्ट लोगों को चाहे वो सांसद और विधायक हों, मंत्री हों, सरकारी ओहदेदार हों, व्यवसायी या ठेकेदार सभी को इस समाज ने पोषित किया है। उनके भ्रष्ट होने की ग्रंथियों को खाद- पानी देकर उन्हें पल्लवित और पुष्पित किया है। हमारे घरों में परिवार के बड़े सदस्यों द्वारा किए जाने वाले कार्यों को देखते, सुनते और सीखते हुए बच्चे जवान होते हैं। सामान्यतया उनके आचार, व्यवहार का आधार उनका परिवार और आस- पास का परिवेश होता है। ऐसे में उनके पिता या अन्य लोग यदि कोई गलत आचरण करते हैं, नियम- कानून को ताक पर रखकर अपने अधिकार का नाजायज फायदा उठाते हैं और अपनी शक्ति और सत्ता का प्रयोग अपना घर भरने में लगाते हैं तो फिर उस घर की संतान कैसे एक बेहतर इंसान बन सकती है? और फिर हम कैसे उस समाज से एक आदर्श और गुणवान कार्यकर्ता, नेता, अधिकारी, कर्मी, व्यवसायी, उद्योगपति आदि के उपजने की कल्पना कर सकते हैं? इस पूरे माहौल में हमें अपना अवलोकन भी कर लेना चाहिए कि भ्रष्टाचार के मामले में हम कितना आगे हैं।

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Answered by Anonymous
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Question:

Bhrashtachar par laghu katha likhiye.

Answer:

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी।

21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है।

उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है।

भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है।

इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है।

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