Bhrashtachar shiksha ka cancer nhibhand in hindi
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भ्रष्टाचार पर निबंध
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है-भ्रष्ट और आच२ण, जिसका अर्थ है: आचरण से भ्रष्ट । भारत में भ्रष्टाचार मूर्त और अमूर्त दोनों ही रूपों में नजर आता है । यहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इस में अछूता बचा हो। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है । आजकल तो शिक्षा विभाग में भी भ्रष्टाचार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है । एडमिशन के समय और समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक भ्रष्टाचार मिलता है ।
हमारा समाज भी इस बुराई के शिकंजे में बुरी तरह जकड़ा हुआ है और लोगों का नैतिक मूल्यों से मानो कोई संबंध ही नहीं रह गया है । हमारे समाज में हर स्तर पर फैल रहे भ्रष्टाचार की व्यापकता में निरंतर वृद्धि हो रही है । भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप-रंग हैं और इसी प्रकार नाम भी अनेक हैं ।
भ्रष्टाचार को अगर रोकना है तो इसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी । खुद के सामने हो रहे भ्रष्टाचार पर आवाज उठानी होगी । सभी लोगों को इसके लिए जागरूक करना होगा । और भ्रष्टाचार के खत्म होने से हमारे देश को एक बड़ी महाशक्ति बनने से कोई नही रोक सकता ।