bhrastachar mukt bharat
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भ्रष्टाचार दो शब्दों का मिश्रण है, भ्रष्ट + आचार | भ्रष्ट अर्थात बुरा तथा आचार अर्थात आचरण | भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जोह बुरा अवं अनुचित हो |
भले ही भारत ने 1947 में विदेशी बुराइयों से स्वतंत्रता हासिल की लेकिन अब भी भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों से स्वतंत्रता नहीं मिली है | भ्रष्टाचार एक जहर है जो समाज, समुदाय और देश के गलत लोगों के मन में फैल गया है।भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है और विकास के प्रमुख बाधाओं में से एक है | आमतौर पर, भारत में भ्रष्टाचार मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वत से निकटता से जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है कुछ गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धन का उपयोग करना | भ्रष्टाचार भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है |
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Explanation:
मैं एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखता हूँ। वह जगह जहां हर कोई कड़ी मेहनत करता है और उसे अपनी मेहनत का फल मिलता है। एक जगह जो हर किसी को अपनी जाति, रंग, पंथ या धर्म को दरकिनार कर उनके ज्ञान और कौशल के आधार पर समान अवसर देती है। एक जगह जहां लोग अपने स्वार्थी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आसपास के अन्य लोगों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
लेकिन अफसोस मैं जैसी कल्पना करता हूँ भारत इस आदर्श जगह से बहुत दूर है। हर कोई इतना पैसा कमाने और अपनी जीवन शैली का विकास करना चाहता है कि वे अपने सपने और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भ्रष्ट तरीकों का उपयोग करने से भी नहीं डरते। यह एक सामान्य धारणा है कि जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वे कभी भी अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते। उन्हें कोई पदोन्नति नहीं मिलती और कम वेतन मिलता है। दूसरी ओर जो लोग रिश्वत लेते हैं और अपने कार्यों को पूरा करने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करते हैं वे सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं और बेहतर जीवन जीते हैं।
यह समझने की जरूरत है कि भले भ्रष्ट तरीकों का उपयोग करना अधिकांश मामलों में पैसा कमाने का एक आसान तरीका है लेकिन यह वास्तव में आपको ख़ुशी नहीं दे सकता है। आप ऐसे ख़राब रास्ते पर चल अच्छी तरह से धन कमा सकते हैं लेकिन क्या आपके मन को कभी शांति मिल पाएगी? नहीं! आपको अस्थायी रूप से खुशी जरुर मिल सकती है लेकिन आप लंबे समय तक असंतुष्ट और नाखुश रहेंगे।
हम में से हर एक को भ्रष्ट प्रथाओं को छोड़ने का प्रतिज्ञा लेनी चाहिए। इस तरह हमारा जीवन बेहतर होगा और हमारा देश एक बेहतर स्थान बन जाएगा।