big paragraph on mere Jeevan ka lakshya in hindi
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प्रस्तावना- मानव जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है। यह अनेक जन्मों के अच्छे कर्मों का ही फल है। इसलिए इस महत्वपूर्ण मानव जीवन का उचित ढंस से उपयोग करना बहुत आवश्यक हो जाता है। कई लोग इसका महत्व नहीं समझते और इसे व्यर्थ खो देते हैं। तब वे हाथ मलते रह जाते हैं। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में मानव अपना लक्ष्य भूल चुका है। वह संसार की सुख सुविधाओं और धन-सम्पत्ति को इकट्ठा करने में ही अपना जीवन लगा रहा है।
राष्ट्र सेवा मेरा लक्ष्य- मानव जीवन तभी सार्थक है, जब मनुष्य इसका उपयोग दूसरों के हित के लिए पेट तो पशु भी भर लेते हैं पर मानव भी केवल अपने पेट के भरण में लगा रहे तो मानव जन्म का लाभ ही क्या? पर मैं यह भी जानता हूँ कि कहना जितना सरल है, करना उतना ही कठिन।
जन सेवा और राष्ट्र के उद्धार की रट लगाने से कोई लाभ नहीं। यह काम तो सेवा, त्याग तपस्या का है। इसके लिए मनुष्य को अपने जीवन का समर्पण करना पड़ता है। यह काँटों से भरा रास्ता है। कदम कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार दूसरों की आलोचना का शिकार भी बनना पड़ता है। पर मुझे किसी चीज की चिन्ता नहीं। मार्ग में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यो न आएँ, मैं अपने मार्ग पर दृढ़तापूर्वक बढ़ता जाऊँगा।
कार्य कठिन पर संभव- प्रश्न यह है कि क्या अकेला आदमी भी कुछ कर सकता है। कहते हैं कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। मैं यह सब जानता हूँ। पर मुझे विश्वास है कि अपने लक्ष्य में सफल रहूँगा। बचपन में मैंने किसी से सुना था-यह मत कहो कि जग में कर सकता क्या अकेला,
लाखों में काम करता है चन्द्रमा अकेला।
यह कथन शत-प्रतिशत सत्य है। यदि कोई व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर ले और आत्मविश्वास, लगन के साथ उस काम में लग जाए, सफलता पैर चूमती दिखाई देती है।
महान पुरूषों के उदाहरण- स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल, सरदार पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद ने त्याग लगन और सहिष्णुता द्वारा भारतीय जन जीवन में चेतना का संचार किया था। उन्हीं के चरण चिन्हों पर चलकर मैं भी मातृभूमि के लिए कुछ कर दिखाना चाहता हूँ।
उपसंहार- मैं कथनी में नहीं करनी में विश्वास करता हूँ। एक प्रकाशमान दीपक सैंकड़ों, हजारों दीपकों को प्रकाशित करने की क्षमता रखता है। मेरा जीवन भी एक प्रकाशमान दीपक के समान होगा। अपने इस जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं अभी से प्रयत्न कर रहा हूँ। मैंने सादा किन्तु नियमित जीवन जीने का दृढ़ निश्चय कर रखा है। मैं कमजोर छात्रों को निरन्तर प्रेरणा देकर अच्छे मार्ग पर लाने के प्रयत्न में लगा हूँ। उनकी कठिनाइयों और समस्याओं की सुलझाने के प्रयत्न में मैं सदा आगे रहूँगा। ईश्वर मुझे शक्ति दे जिससे मैं अपना जीवन लक्ष्य प्राप्त कर सकूँ, यही मेरा उस प्रभु से नम्र निवेदन है।
हर इंसान का जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य होता है। कोई डाक्टर, तो कोई वकील, कोई टीचर तो कोई कुछ। परंतु मैं तो एक IAS अफ़सर बनना चाहता हूं। जो देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है।
मैं कठिन नहीं मानता किसी चीज़ को क्योंकि कठिन कुछ नहीं होता सब समझने का खेल है हमारी बुद्धि का। IAS बनना यानि अपने कंधे पर देश का भार लेना जो सबको नसीब नहीं होता। वास्तव में आईएएस अफसर देश को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।हांलाकि इस पथ पर चलने में कठिनाई तो होगी परंतु यदि आप कुछ नीतियों को सही तरीके से अपनाते हैं तो जरुर पास कर जाऐंगे।
जैसे- इकोलॉजी, एंवायरमेंट, आर्ट और कल्चर पर करना होगा ध्यान
कई किताबों को पढ़ने से अच्छा है एक ऐसी क्व़ॉलिटी की किताब पढ़ें जिससे आपके बेसिक कॉंन्सेप्ट क्लियर हो जाएं।टॉपिक्स की पढ़ाई के लिए जरूरी है कि आप उससे जुड़े नोट्स बनाएं।मॉक टेस्ट से तैयारी कर आप अपनी स्पीड तो बढ़ा ही सकते हैं बल्कि इसकी मदद से सवालों को जल्दी हल करने की समझ भी बढ़ती है।
नियमित रूप से पढ़ें अखबार।एनसीईआरटी की किताबों को जरूर पढ़ें।अगर आप किसी विषय को रट रहे हैं तो आप कुछ समय बाद भूल जाएंगे इसलिए।घटनाओं के विश्लेषण करने की आदत डालें। इससे आप उसे हमेशा याद रखेंगें. इसके लिए आप इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
बस रखें लक्ष्य ऐसा नीति बनाएं ऐसा हर नागरिक IAS बनेगा आपके जैसा..Thank's..M8..(mate).....