Bihar ka natwarlal sale by tajmahal hindi
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Mithilesh Kumar Srivastava, better known as Natwarlal (1912–2009),[1][2] was a noted Indian con man known for having repeatedly "sold" the Taj Mahal, the Red Fort, and the Rashtrapati Bhavan and also the Parliament House of India along with its sitting members.
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बिहार का सीवान जिला। यहां जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर बंगरा गांव में एक लड़का पैदा हुआ था। उसका नाम था...
जनसत्ता ऑनलाइन| Updated: September 21, 2017 2:00 pm
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ठगी की बात हो, तो ‘ठग्गू के लड्डू’ का नाम याद आता है। कानपुर में इस मशहूर मिठाई की दुकान है। सीना ठोंक कर दावा करते हैं कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे इन्होंने ठगा नहीं। यह तो थी मजाक की बात, लेकिन ठगी में इनके भी एक उस्ताद रहे हैं। नाम है- मिस्टर नटवर लाल। वही, जो अब ठगी का पर्याय माने जाते हैं। दुनिया भर में उनकी ठगी कुख्यात रही है। जनाब देश की संसद से लेकर ताज महल तक बेच चुके हैं। कहते थे- “झूठ बोलकर पैसे मांगता हूं। लोग दे देते हैं। अब इसमें मेरी क्या गलती।” यह बात है साल 1912 की। जगह थी बिहार का सीवान जिला। यहां जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर बंगरा गांव में एक लड़का पैदा हुआ था। उसका नाम था मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव। पढ़ाई-लिखाई कर बड़ा हुआ तो वकील बना। कहा जाता है कि इस पेशे में झूठ बोलना पड़ता है। शायद झूठ बोलते-बोलते ही वह दुनिया के कुख्यात ठगों की सूची में शुमार हो गया।
नटवर 1970-90 तक ठगी में सक्रिय रहा। वेश-भूषा बदलने में खूब माहिर था। कुल 52 नाम थे उसके, जिनमें से एक था नटवरलाल। उसने तीन बार ताज महल, दो बार लाल किला, एक बार देश के राष्ट्रपति भवन को और एक बार संसद को बेच दिया था। हैरानी की बात है कि जब उसने संसद को बेचा था, तब सारे सांसद वहीं उपस्थित थे। नटवर भी उन्हीं में से एक था।
नटवर दूसरों के हस्ताक्षरों की नकल बनाने में भी उस्ताद था। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर कर ठगी उसने बड़ी ठगी को अंजाम दिया था। यही नहीं, धीरू भाई अंबानी, टाटा और बिरला जैसे देश के नामी उद्योगपतियों को उसने अपनी ठगी का शिकार बनाया था। नटवर पर आठ राज्यों में 100 से अधिक मामले थे। वह कुल नौ बार गिरफ्तार किया गया था। आखिरी बार 84 साल की उम्र में पुलिस की चंगुल से भागा। तब से किसी को मिला ही नहीं।
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नटवर 1970-90 तक ठगी में सक्रिय रहा। वेश-भूषा बदलने में खूब माहिर था। कुल 52 नाम थे उसके, जिनमें से एक था नटवरलाल। उसने तीन बार ताज महल, दो बार लाल किला, एक बार देश के राष्ट्रपति भवन को और एक बार संसद को बेच दिया था। हैरानी की बात है कि जब उसने संसद को बेचा था, तब सारे सांसद वहीं उपस्थित थे। नटवर भी उन्हीं में से एक था।
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