Bihar mein dhaan ke fasal ke liye bhogolik ullekh Karen
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सकरी नदी के बांई तरफ़ बसे दरवेशपुरा के बड़े-बूढ़े साठ और सत्तर के दशक में भी ‘जब्बरजस्त फसल’ की बात याद करते हैं, ‘जब गांव का आलू बंबई तक जाता था’ और ‘बित्ते-बित्ते भर का मरीच उगता था’, अब गांव की ख़ासियत बखान करने वाली इन कहानियों में दो और इज़ाफ़ा हो गया है.
बिहार के नांलदा ज़िले की इन दोनों घटनाओं पर सरकारी मुहर भी लगी है.
राज्य सरकार ने ‘तीन बार की जांच के बाद’ दावा किया कि गांव के एक नौजवान सुमंत कुमार के खेत में धान की फसल का ‘विश्व रिकॉर्ड ’ बना है.
पिछला ‘विश्व रिकॉर्ड ’ 19.4 टन प्रति हेक्टेयर उपज के साथ चीन के कृषि वैज्ञानिक युआन लॉंगपिंग का था.
बिहार सरकार का कहना है कि दरवेशपुरा के सुमंत कुमार के खेत में प्रति हेक्टेयर 22.4 टन धान पैदा हुआ.
हालांकि छरहरे बदन के सुमंत कुमार कहते हैं कि उन्हें तो मालूम भी नहीं था कि ‘धान और आलू का भी कोई विश्व रिकॉर्ड होता है’, हां उनके ‘खेत बुआई के छब्बीसवें दिन से ही औरों से अलग दिखने लगे थे.’
‘एक पेड़ से धान होता है?’
अपने पक्के घर के सामने की गली में बैठकर हमसे बात करते हुए सुमंत कुमार कहते हैं, ‘नौकरी छोड़कर खेती में आना एक चैलेंज था.’
‘जब अस्टार्टिंग में लगा रहे थे तो सब कह रहे थे, होने वाला नहीं. एक पेड़ से धान होता है? पहले पांच-पांच पौधे साथ बोते थे.’
बुआई के समय धान के एक-एक पौधे को अलग-अलग और ख़ास दूरी पर लगाने की जिस पद्धति को सुमंत कुमार ने अपनाया था उसे ‘सिस्टम ऑफ़ राइस इंटेन्सिफिकेशन’ कहते हैं. इस तरह की खेती में बीज को अलग तरीक़े से तैयार करने के अलावा, सिंचाई भी पारंपरिक तरीक़े से अलग ढंग से की जाती है.
रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड
नितिश कुमार किसान
इमेज कैप्शन,
नितिश कुमार ने आलू की बंपर पैदावार कर दरवेशपुरा को दोबारा चर्चा में ला दिया.
दरवेशपुरा में सुंमत के कारनामे के छह माह बाद गांव के एक किसान आलू की पैदावार में भी 'विश्व रिकार्ड' बना डाला.
किसान नीतीश कुमार न् बताया, “मेरा बेटा खेत से आलू कबाड़ (उखाड़) के ला रहा था, तो गांव के कुछ लोग उसको देखे, और सात-आठ सौ ग्राम के एक-एक आलू देख उसको पकड़ के पंचायत भवन में ले आए, पंचायत शिविर में एसडीएम साहब भी थे, और बात जिला परसासन तक पहुंच गई.”
वो कहते हैं, दो-तीन दिन बाद ही कृषि विभाग और दूसरे कई जगहों से लोग आए, मेरे खेत में क्रॉप कटिंग की गई, और लोगों ने कहा कि तुम्हारे खेत में 72.9 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार हुई है.
सरकारी प्रचार और सवाल
सिर पर चेक की डिज़ाइन वाल गमछा बांधे नीतीश कुमार कहते हैं कि जब सरकारी कृषि सलाहकार ने उनसे ‘खेती में चेंज की बात की और नई विधि अपनाने को कहा तो वो बहुत डरे हुए थे, और इसलिए सिर्फ़ बीघे भर में ही नए ढंग से धान की रोपनी और खेती की, और सामान्य से ज्यादा ख़ून-पसीना एक किया, लेकिन बाद में रिजल्ट अच्छा रहा.’
हालांकि मुख्यमंत्री के गृह ज़िले नालंदा में एक के बाद बने दूसरे विश्व रिकॉर्ड और हुकूमत की इसमें दिलचस्पी को लेकर कई हल्क़ों में पूरे मामले को नीतीश कुमार सरकार के प्रोपगंडा के तौर पर भी देखा जा रहा है.