Bihari Ke dohe ki prasangikta spasht kijiye?
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मूर्ति पूजा को निरर्थक मानते हुए वो कहते हैं कि इससे अच्छी तो चक्की है, कि कुछ काम तो आती है। मुल्ला के बांग लगाने का भी वह उपहास करते हैं। ये दोहे आज इसिलिये बहुत प्रांसंगिक हो गये हैं क्योंकि आज धर्मों मे दिखावा बढ़ता जा रहा है,एक दूसरे कोनीचा दिखाने की होड सी लगी हई है। पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौं पहार।
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Warm regards:Kanika
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