Bihari ne jagat ko tapovan kyu kaha hai aur kya sandesh dena chaha hai?
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बिहारी ने जगत को तपोवन इसलिए कहा है तपोवन का अर्थ है, जहाँ तप किया जाता है|
वहां आपसी प्रेम-भाव और मित्रता का वातावरण रहता है। तपोवन में कोई किसी का बैरी नहीं होता और वहाँ किसी की किसी के साथ शत्रुता नहीं होती है |
कवि ने जगत को तपोवन की तरह माना है क्योंकि वन में सभी प्राणी आपसी तकरार भूलकर भयंकर गर्मी में एक साथ पेड़ों की छाया में बैठते हैं|
इससे यह सन्देश मिलता है कि जब पशु अपनी शत्रुता भूल कर एक साथ रह सकते हैं तो मनुष्य क्यों नहीं रह सकता।
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