bilas पाठक सारांश satsabdesu हिंदी भाषा या likhat सीजीबीएसई क्लास 10th संस्कृत
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बिलासा पाठ का सारांश नीचे दिया गया है।
- लेखक को एक बार पास ही कहीं जाना था तो उसने पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास की टिकट खरीद ली , उसे लगा कि सेकंड क्लास में भीड़ नहीं होगी तथा शांति से वह नई कहानी के लिए विचार कर पाएगा।
- ट्रेन में चढ़ने पर लेखक ने पाया कि उसकी सोच से विपरीत बहुत भीड़ है। पास की सीट पर एक नवाब साहब पलथी मार कर बैठे थे। उन्हें भी लेखक का आना अच्छा नहीं लगा ।
- नवाब साहब को भी लगा होगा कि भीड़ नहीं होगी तो उसने समय बिताने के लिए खीरे के लिए थे। दो चिकने खीरे थे। नवाब ने खीरे छीले,पानी से धोए तथा लेखक से खीरा लेने का आग्रह किया परन्तु लेखक ने माना कर दिया।
- नवाब ने एक बार फिर लेखक को खीरा लेने का आग्रह किया परन्तु इस बार लेखक ने पेट खराब होने का बहाना बनाया ।
- नवाब खीरा मुंह के पास लाया, उसकी खुशबू ली और मुंह में आयी लार को निगल लिया । लेखक यह देखकर हैरान हुआ कि खुशबू लेने के बाद नवाब ने खीरे को खिड़की से फेंक दिया, उसने दूसरे खीरे के साथ भी यही किया और डकार भी दी।
- लेखक का कहना है कि यदि बिना खीरा खाए किसी का पेट भर सकता है तथा सिर्फ उसकी महक लेने से डकार भी आती है तो बिना पात्र के तथा सोच के कहानी भी लिखी जा सकती है
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