Art, asked by ssohesiddique786, 9 months ago

bilashapath ka sarans

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Answered by shriyakodesia2005
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Answer:

कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी पुष्प या फूल के रूप मे कहते हैं की मुझे कोई चाह नहीं है की मैं किसी स्त्री के गहनों में गूँथ जाऊं, मुझे कोई इच्छा नहीं है की मैं किसी महिला के बालों का गजरा बनूँ।

मुझे कोई इच्छा नहीं की मैं किसी प्रेमी युगलों का माला बनूँ। मुझे इसकी बिलकुल चाह नहीं है की मैं फूल बनकर किसी राजा या सम्राट के शव पर चढ़ाया जाऊं।

मुझे इसकी भी इच्छा नहीं है की मुझे भगवान के मस्तक पर अर्पित किया जाय जिससे मुझे अपने भाग्य पर गर्व हो।

मैं सिर्फ इतना चाहता हूँ की हे वनमाली तुम मुझे तोड़कर उस मार्ग पर फ़ेक देना जिस मार्ग पर वीर देशभक्त, शूरवीर इस भूमि की रक्षा के लिए अपने आप को अर्पण करने जाते हों ,जो इस भूमि के लिए अपना शीष अर्पण करने जाते हों |

आशा करते हैं आपको पुष्प की अभिलाषा कविता हिन्दी भावार्थ सहित इस लेख से मदद मिली होगी। अपने सुझाव कमेन्ट के माध्यम से हमें जरूर भेजें।

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