Biliam banting sati pratha ka ant kis year hua tja
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1829 ..............!
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हिंदू धर्म के चारों वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में से किसी में से भी सती प्रथा से जुड़ी कोई भी व्याख्या नहीं की गई है.
भारतीय इतिहास में सती प्रथा होने के पहले प्रमाण गुप्तकाल में 510 ईसवी के आसपास मिलते हैं जब महाराजा भानुप्रताप के साथ युद्ध में गोपराज भी थे. गोपराज की युद्ध में मृत्यु हो जाने के बाद उनकी पत्नी ने अपने प्राण त्याग दिये.
भारत में जब इस्लामिक राजाओं या मुगलों के द्वारा सिंध, पंजाब और राजपूत क्षेत्रों पर आक्रमण किया गया था तब सती प्रथा के अुसार सबसे ज्यादा महिलाओं के अपने पति के वीरगति को प्राप्त करने के बाद आत्मदाह कर लिया था.
सती प्रथा की तरह ही भारत में जौहर प्रथा भी बहुत ही अधिक प्रचलित थी जब इस्लामिक हमलों के समय राजपूतों की पत्नियां एक साथ जौहर करती थीं जिसका मतलब होता था आग में कूदकर अपनी जान दे देना.
इतिहास के पन्नों में इस तरह के उल्लेख मिलते हैं कि एक समय पतियों की मृत्यु के बाद उनकी चिताओं पर उनकी पत्नियों को जबर्दस्ती चिताओं के ऊपर बैठाल दिया जाता था जिसमें महिलाओं की चीखों और उनके दर्द की पीड़ा को कोई भी ध्यान नहीं देता था.
भारत में ब्रिटिश राज के समय में अंग्रेजों ने सती प्रथा को भारत में एक ठीक प्रथा नहीं माना था लेकिन धार्मिक दृष्टि से मजबूत होने का कराण उन्होंने इसे सीधा समाप्त करने के बजाय इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम करने का विचार किया.
आधुनिक भारत का जनक कहे जाने वाले राजा राम मोहन राय ने भारत में शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार और जागरुकता के द्वारा सती प्रथा को समाप्त करने का प्रण लिया. राजा राम मोहन राय ने ना सिर्फ सती प्रथा का विरोध किया बल्कि उन्होंने समाज के उत्थान के लिए विधवा विवाह को सामाजिक स्वीकृति देना जरूरी बताया.