bin Bulay mheman pr anuched likiy
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आंखों में अंधेरा, दिल मे इश्क़ के बादल से छाए थे,
हाँ, कल रात तुम ही मेरे सपनों में आये थे।।
शायद वो रात बड़ी ही सुहानी थी,
वो मेरा और मैं उसकी दीवानी थी।
फिर हौले हौले तुम्हे आगोश में सुलाना,
और वीराना सा देख, तुम्हे पास में बुलाना।
सच मे यार तुम बड़ा ही शरमाये थे।
हाँ, कल रात तुम ही मेरे सपनों में आये थे।।
बात कुछ आगे कुछ बढ़ सी रही थी,
शर्म से आंखे लाल, शायद मैं डर सी रही थी।
फिर तुम्हारा हाथ लगा सर को ऊपर उठाना,
और मेरे सुर्ख -लबो को धीरे से सहलाना,
सच मे 'किस' करते हुए तुम बड़ा ही घबराए थे।
हाँ, कल रात तुम ही मेरे सपनों में आये थे।।
अब दिल,दिमाग, जिस्म बेकाबू सा हो गया था,
सिर्फ मेरी धड़कन के सिवा, बाकी सब कुछ सो गया था।
न होश था, न ख्याल था, बस दर्रो सा बुरा हाल था।
कशिश तेरी ही थी कुछ ऐसी,कि न कशिश पे कोई सवाल था।
सच बताऊ इन ख्वाबो की बारात में ,तुम बाराती बिन बुलाए थे।
हाँ, कल रात तुम ही मेरे सपनों में आये थे।।।
कवि-नरेंद्र शर्मा (कानपुर वाला)
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