Hindi, asked by ibrahimshariff9234, 1 year ago

Biography of hindi poet bharat bhushan agarwal in hindi

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Answered by ajeetayadava44p8m08b
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भूषण का जन्म 1613 में कानपुर जिले के तिकवापुर ग्राम में हुआ था। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। कहते हैं भूषण निकम्मे थे। एक बार नमक मांगने पर भाभी ने ताना दिया कि नमक कमाकर लाए हो? उसी समय इन्होंने घर छोड दिया और कहा 'कमाकर लाएंगे तभी खाएंगे। प्रसिध्द है कि कालांतर में इन्होंने एक लाख रुपए का नमक भाभी को भिजवाया। हिन्दू जाति का गौरव बढ़े और उन्नति हो यह इनकी अभिलाषा थी। इस कारण वीर शिवाजी को इन्होंने अपना आदर्श बनाया तथा उनकी प्रशंसा में कविता लिखी। चित्रकूट नरेश के पुत्र रुद्र सोलंकी ने भी इनकी कविता सराही और इन्हें 'भूषण' की उपाधि दी।

इनके प्रसिध्द ग्रंथ हैं- 'शिवराज भूषण, 'शिवा बावनी तथा 'छत्रसाल-दशक, जिनमें वीर, रौद्र, भयानक और वीभत्स रसों का प्रभावशाली चित्रण है।

भूषण रीतिकाल के एकमात्र कवि हैं, जिन्होंने श्रृंगार रस से हटकर वीरता और देशप्रेम के वर्णन से कविता को गौरव प्रदान किया। भूषण की मृत्यु 1715 में हुई।

 

Answered by jitekumar4201
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भारत भूषण अग्रवाल

कवि, लेखक और समालोचक भारतभूषण अग्रवाल का जन्म 3 अगस्त, 1919 (तुलसी-जयंती) को मथुरा (उ.प्र.) के सतघड़ा मोहल्ले में हुआ। उनका निधन 23 जून, 1975 (सूर-जयंती) को हुआ। इन्होंने आगरा तथा दिल्ली में उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर आकाशवाणी में तथा में तथा अनेक साहित्यिक संस्थाओं में सेवा की। पैतृक व्यवसाय से दूर, उन्होंने साहित्य रचना को ही अपना कर्म माना। पहला काव्य-संग्रह 'छवि के बंधन' (1941) प्रकाशित होने के बाद, वे मारवाड़ी समाज के मुखपत्र 'समाज सेवक' के संपादक होकर कलकत्ता गए। यहीं उनका परिचय बांग्ला साहित्य और संस्कृति से हुआ। भारतभूषणजी 'तारसप्तक' (1943) में महत्वपूर्ण कवि के रूप में सम्मिलित हुए और अपनी कविताओं तथा वक्तव्यों के लिए चर्चित हुए। अपनी अन्य कृतियों 'जागते रहो' (1942), 'मुक्तिमार्ग' (1947) के लेखन के दौरान वे इलाहाबाद से प्रकाशित पत्रिका 'प्रतीक' से भी जुड़े और 1948 में आकाशवाणी में कार्यक्रम अधिकारी बने। 1959 में उनका एक संग्रह 'ओ अप्रस्तुत मन' प्रकाशित हुआ, जो उनकी रचनात्मक परिपक्वता और वैचारिक प्रौढ़ता का निदर्शन था।

                                                                                               डॉ0 भारतभूषण अग्रवाल 1960 में साहित्य अकादेमी के उपसचिव बने और अकादेमी के प्रकाशनों तथा कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने में अपना योगदान दिया। 1975 में वे उशतर अध्ययन संस्थान, शिमला के विजिटिंग फ़ेलो बने और मृत्युपर्यंत 'भारतीय साहित्य में देश-विभाजन' विषय पर शोध करते रहे।  अपनी व्यंग्यमुखर प्रखरता के नाते उनकी रचनाएं जहां अपने समकालीनों से सर्वथा अलग प्रतीत होती हैं, वहां आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बनी हुई हैं। विभिन्न विधाओं में समान रूप से लेखन में सिद्धहस्त डॉ0 अग्रवाल की रचनाओं में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं- बहुत बाक़ी है, अनुपस्थित लोग, कागज़के फूल, प्रसंगवश और कवि की दृष्टि। उनकी रचनावली चार खंडों में प्रकाशित हो चुकी है।

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