Biography of Pv Sindhu in hindi
lostboy12:
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पुसर्ला वेंकट सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हुआ. उनके पिता का नाम पी. वी. रमण हैं और उनकी माता पी. विजया हैं. उनके माता और पिता दोनों ही हमारे देश के पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं. उनकी एक बहन भी हैं, जिसका नाम पी. वी. दिव्या हैं. वर्ष 2000 में उनके पिता पी. वी. रमण को उनके खेल के लिए अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था. अतः उनकी खेल में रूचि होने का कारण तो स्पष्ट हैं कि उन्होंने अपने घर में ही इस प्रकार का माहौल देखा. परंतु वे अपने माता – पिता के खेल क्षेत्र वॉलीबॉल के प्रति आकर्षित नहीं हुई, बल्कि उन्होंनेबैडमिंटन खेल को चुना. इसके पीछे यह कारण था, कि वे पुलेला गोपीचंद [Pullela Gopichand] की सफलता से बहुत प्रभावित थी, जो वर्ष 2001 में आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन थे. तभी सिंधु ने भी मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना प्रारंभ कर दिया.
सिंधु ने बैडमिंटन सीखने की शुरुआत सिकंदराबाद में इंडियन रेल्वे इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्यूनिकेशन में मेहबूब अली की देखरेख में की. इसके बाद उन्होंने पुलेला गोपीचंद [Pullela Gopichand] की बैडमिंटन अकादमी में दाखिला लिया. उनके कोच पुलेला गोपीचंद के अनुसार, “सिंधु के व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह हैं, कि वे कभी भी हार नहीं मानती और कोशिश करती रहती हैं.” द हिंदू के अनुसार, “कोचिंग कैंप उनके घर से 56 किलोमीटर दूर होने के बावजूद भी वे रोज समय पर आती थी, इससे उनके खेल के प्रति समर्पण का भी पता चलता हैं.”
पुसर्ला वेंकट सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हुआ. उनके पिता का नाम पी. वी. रमण हैं और उनकी माता पी. विजया हैं. उनके माता और पिता दोनों ही हमारे देश के पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं. उनकी एक बहन भी हैं, जिसका नाम पी. वी. दिव्या हैं. वर्ष 2000 में उनके पिता पी. वी. रमण को उनके खेल के लिए अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था. अतः उनकी खेल में रूचि होने का कारण तो स्पष्ट हैं कि उन्होंने अपने घर में ही इस प्रकार का माहौल देखा. परंतु वे अपने माता – पिता के खेल क्षेत्र वॉलीबॉल के प्रति आकर्षित नहीं हुई, बल्कि उन्होंनेबैडमिंटन खेल को चुना. इसके पीछे यह कारण था, कि वे पुलेला गोपीचंद [Pullela Gopichand] की सफलता से बहुत प्रभावित थी, जो वर्ष 2001 में आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन थे. तभी सिंधु ने भी मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना प्रारंभ कर दिया.
सिंधु ने बैडमिंटन सीखने की शुरुआत सिकंदराबाद में इंडियन रेल्वे इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्यूनिकेशन में मेहबूब अली की देखरेख में की. इसके बाद उन्होंने पुलेला गोपीचंद [Pullela Gopichand] की बैडमिंटन अकादमी में दाखिला लिया. उनके कोच पुलेला गोपीचंद के अनुसार, “सिंधु के व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह हैं, कि वे कभी भी हार नहीं मानती और कोशिश करती रहती हैं.” द हिंदू के अनुसार, “कोचिंग कैंप उनके घर से 56 किलोमीटर दूर होने के बावजूद भी वे रोज समय पर आती थी, इससे उनके खेल के प्रति समर्पण का भी पता चलता हैं.”
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