Biography of Vikram Sarabhai in Hindi
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डॉ॰ विक्रम साराभाई का जन्म अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था। उनके पिता का नाम श्री अम्बालाल साराभाई और माता का नाम श्रीमती सरला साराभाई था। गुजरात कॉलेज से इंटरमीडिएट तक विज्ञान की शिक्षा पूरी करने के बाद वे 1937 में वे इंग्लैंड चले गए वहां उन्होंने कैम्ब्रिज में अध्ययन किया। 1940 में उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में ट्राइपोज डिग्री प्राप्त की। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर वे भारत लौट आए और बंगलौर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में कार्य करने लगे जहां वह सी. वी. रामन के निरीक्षण में ब्रहांडीय विकिरणों पर अनुसंधान करने लगे।
डॉ॰ विक्रम साराभाई के शोध कार्य:
उन्होंने अपना पहला अनुसंधान लेख ''टाइम डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ कास्मिक रेज़'' भारतीय विज्ञान अकादमी की पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। वर्ष 1940-45 की अवधि के दौरान कॉस्मिक रेज़ पर साराभाई के अनुसंधान कार्य में बंगलौर और कश्मीर-हिमालय में उच्च स्तरीय केन्द्र के गेइजर-मूलर गणकों पर कॉस्मिक रेज़ के समय-रूपांतरणों का अध्ययन शामिल था। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर वे कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपनी डाक्ट्रेट पूरी करने के लिए वापिस से कैम्ब्रिज चले गए। 1947 में उष्णकटीबंधीय अक्षांक्ष (ट्रॉपीकल लैटीच्यूड्स) में कॉस्मिक रे पर अपने शोध कार्य के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डाक्ट्ररेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके बाद वे भारत लौट आए और यहां आ कर उन्होंने कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान पर अपना अनुसंधान कार्य जारी रखा। भारत में उन्होंने अंतर-भूमंडलीय अंतरिक्ष, सौर-भूमध्यरेखीय संबंध और भू-चुम्बकत्व पर अध्ययन किया। डॉ॰ विक्रम साराभाई ने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे।
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