Bismillah Khan Kashi chodkar kyon nahi jaana chahte the?
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बिस्मिल्लाह खाँ एक शिया मुसलमान थे फिर भी वे अन्य हिन्दुस्तानी संगीतकारों की भाँति धार्मिक रीति रिवाजों के धार्मिक पक्षधर थे।
वह प्रतिदिन अपना शहनाई का रियाज़ गंगा नदी के घाटों पर बैठकर घंटों किया करते थे। यही नहीं वह काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में जाकर शहनाई बजाया करते थे।
यद्यपि वह पांच बार के नमाज़ी थे फिर भी प्रत्येक त्यौहार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और रमजान के दौरान व्रत रखते थे। कहा जाता है की काशी विश्वनाथ के बिस्मिल्लाह खाँ जी अजीब किन्तु अनुकर्णीय अर्थ में धार्मिक थे।
वे जात पात में विश्वास नहीं करते थे बल्कि यही मानते थे की केवल उनका संगीत ही उनका धर्म है। ना ही वे किसी भी प्रकार के भेद भाव को मानते थे। बनारस छोड़ने के ख्याल भर से ही वे व्याकुल और बेचैन हो उठते थे यह सोचकर की गंगा जी और बाबा विश्वनाथ के बिना वह कैसे रह पायेंगे।
बिस्मिल्लाह खां काशी को नहीं चोदना चाहते थे क्यूंकि काशी में ही उनका जन्म हुआ, उनके पूर्वाजो ने भी अपना जीवन यहीं बिताया, उनके बचपन की हर कहानी यही बीती है | बिस्मिल्लाह खां के संगीत की यात्रा काशी के प्रसिद्ध बाबा विश्वनाथ मंदिर से हुई थी|