बजारूपन अथवा कपट से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते है?
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बाजारूपन से तात्पर्य बाजार की झूठी चकाचौंध और चमक-दमक से है। बाजार की वो झूठी चकाचौंध जिसके प्रभाव में आकर उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है। बाजार के कर्ता-धर्ता अपना सामान भेजने के लिए अपनी निम्न गुणवत्ता वाली वस्तुओं को भी गुणकारी बताकर आकर्षक पैकिंग में लगाकर उपभोक्ता को भ्रमित कर बेच देते हैं।
किसी उत्पाद में वो गुण नही होते लेकिन उत्पादकर्ता अपनी वस्तु को बढ़ा-चढ़ा कर लंबी-लंबी बड़ी-बड़ी बातें कर उपभोक्ता को बेच देता है, वही कपट कहलाता है।
वे व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं, जो हर तरह का सामान खरीद लेते हैं। जिन्हें किसी सामान की जरूरत नहीं होती, लेकिन फिर भी वह सामान कर लेते हैं। जो फिजूल की खरीदारी करते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों में खरीदारी करने की प्रवृत्ति विकसित होती है और वे फिजूल की खरीदारी कर अपना धन और समय दोनों नष्ट करते हैं।
लेखक के अनुसार बाजार की सार्थकता केवल जरूरत का सामान खरीदने में ही है। वे विक्रेता या उत्पादकर्ता बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं, जो ग्राहकों का शोषण नहीं करते और छल-कपट से अपने माल को बेचने का प्रयत्न नही करते अथवा वे ग्राहक जो केवल अपनी आवश्यकता अनुसार ही खरीदारी करते हैं, बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं।
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