Hindi, asked by abcd2735, 1 year ago

बकरी नाटक का प्रस्तावना सर्वेश्वर दयाल
सक्सेना द्वारा ​

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Explanation:

हिन्दी साहित्र् के बिुमखु ी प्रहतभा सम्पन्न कहि, नार्टर्कार किानीकार

उपन्र्ासकार एिं सफल सपं ादक सिेश्वरदर्ाल सक्सनेा | दुःुखो के हबच अपने

आपको सर्ं त रखनेिालेसिेश्वरनेजीिन र्ात्रा मेंकई उतार चढाि दखे ेिै| मााँ

का अभाि पहत्न की मत्ृर्ुकेबाद भी दुःुखो का सलै ाब कम निीं िुआ | पहत्न की

मत्ृर्ुकेबाद अकेलेरिना पसदं हकर्ा और अपनेबच्चो को मााँऔर हपता दोनो

का प्र्ार हदर्ा | लहेकन कभी भी अपनेअंदरऔर की िेदना को अपनेव्र्ििार में

आने निीं हदर्ा | “सिेश्वर आजीिन गरीबी से लड़ते रिे और गरीबों का साथ

हदर्ा पढाई के हदनों मेंभी जब हक अपनी जीहिका जर्ुानी महुककल थी, हफर भी

िेदसूरो की फ़ीस, हकताबेऔर खानेकेहलए अपनी पंजूी देदतेे” |१ कहि ह्रदर्

िोनेकेकारण िमशे ा सिं ेदनाओ सेभरेरितेथे|

सिेश्वरदर्ाल सक्सनेा नेसफल नार्टर्कार के रूप मेंआतेिै| हजस दौर में

लोकनार्टर् परंपरा को आधहुनक नार्क के साथ जोड़कर दखे ा जा रिा था | उस

समर् सक्सनेा जी नेअपनी नार्टर् कृहत “बकरी” की रचना की र्ि मलू तुः

राजनीहतक व्र्ंग्र् का नार्क िै| “बकरी समकालीन हजंदगी का एक प्रामाहणक

दस्तािेज िै |”२

नार्क का आरंभ नर् नर्ी केसिं ाद सेिोता िैऔर नार्क मेंिंदना सेिी िि भ्रष्ट

राजनीहत के दलदल को हदखा देता िै हजसमे छर्पर्ाता आम आदमी हदखाई देता

िै |

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