बलिहारी गुर आपण, आपणें, द्योहाड़ी के बार। जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार।।1।। सतगुरु की महिमा अनँत, अनँत किया उपगार। लोचन अनंत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार।।2।। दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट। पूरा किया बिसाहुणाँ, बहुरि न आवौं हट्ट।।3।। बूड़े थे परि ऊबरे, गुर की लहरि चमंकि। भेरा देख्या जरजरा, ऊतरि पड़े फरंकि।।4।।
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I don't understand ...
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sorry I don't know ans of this question
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