Hindi, asked by shivamsaini97, 1 year ago

बलिहारी गुर आपणें, द्योहाड़ी कै बार।
| जिनि मानिष तें देवता, करत न लागी बार।।1​

Answers

Answered by shishir303
113

बलिहारी गुर आपणैं द्यौं हाड़ी कै बार।

जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥

ये कबीर की साखी हैं जिसमें गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है।

भावार्थ — कबीर कहते हैं कि गुरु की महिमा की अनंत हैं और गुरु की महिमा का बखान वो शब्दों में नही कर सकते। गुरु ने मेरे मन में व्याप्त अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान रूपी दीपक जलाया है। इस ज्ञान रूपी दीपक के जल जाने से मुझे ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता दिखने लगा है। अर्थात गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुँचने का और उन्हें समझने का मार्ग बताया है, ऐसे गुरु पर मैं बार-बार न्यौछावर हो जाऊँ जिन्होंने मुझे साधारण मनुष्य से देवस्वरूप बनाया है।

Answered by kr117997
7

mujhe samjh nhi a raha fir se samjhao

Similar questions