Hindi, asked by ms8704412, 3 months ago

बलिहारी गुर आपण, द्योहाड़ी के बार।
जिनि मानिष तें देवता, करत न लागी बार।।1।।
सतगुरु की महिमा अनँत, अनँत किया उपगार।
लोचन अनँत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार।।2।।
दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट।
पूरा किया बिसाहुणा, बहुरि न आवौं हट्ट ।।3।।
बूड़े थे परि ऊबरे, गुर की लहरि चमंकि।
भेरा देख्या
जरजरा, ऊतरि
ऊतरि पड़े फरंकि।।4।।
चिंता तौ हरि नाँव की, और न चिन्ता दास।
जे कुछ चितवै राम बिन, सोइ काल की पास।।5।।
तूं तूं करता तूं भया, मुझ मैं रही न हूँ।
बारी फेरी बलि गई, जित देखौं तित तूं।।6।।​

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Answered by omkarghate09a29
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