Hindi, asked by gautamsunny179, 1 month ago

बन्धनं मरणं वापि जयो वापि पराजयः।
उभयत्र समो वीरः वीरभावो हि वीरता।।
से कंठस्थ कि​

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Answered by shishir303
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बन्धनं मरणं वापि जयो वापि पराजयः।

उभयत्र समो वीरः वीरभावो हि वीरता।।

अर्थ ➲ बंधन हो या मृत्यु हो, हार हो या जीत हो, सच्चा वीर वही होता है, जो हर स्थिति में वीरता के भाव को धारण रखता है, अर्थात एक समान रहता है। यही वीरता है

व्याख्या : जीवन में किसी भी तरह की परिस्थिति हो, जीवन के बंधंन से जकड़ें हों, या मृत्यु का भय हो। अथवा चाहे निरंतर जीत हो रही हो या हार हो रही हो। हर तरह की परिस्थिति में निर्विकार रहकर एक समान व्यवहार करना चाहिए अर्थात न तो सुख में आत्ममुग्ध होना चाहिए और न ही दुख में विचलित होना चाहिये। यही भाव वीरभाव कहलाता है, इसे धारण करने वाला ही वीरपुरुष है।

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Answered by singharyaveer10
4

Answer:

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