Bo) लेखक गाँधीजीसे क्या सीखने के लिए kya kahta hai
लेखक गांधी जी से क्या सीखने के लिए कहता है
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लेखक गाँधी जी से क्या सीखने के लिए कहता है ?
➲ लेखक गाँधी जी से यह सीख लेने के लिए कहता है कि जिस तरह गांधीजी ने धर्म को समझा, उसी तरह सबको धर्म को समझना चाहिए। गाँधीजी धर्म का पालन सख्ती से करते थे और हर काम धर्म के अनुसार करते थे। वह धर्म को मानते थे, लेकिन वह धर्म के प्रति कट्टर नहीं थे। वह धर्म के उस स्वरूप को नहीं मानते थे, जिसमे मानवत को भुलाकर केवल कर्मपाण्ड पर ही जोर दिया। यानि जोर-शोर से पूजा-पाठ करके या पाँचो वक्त की नमाज पढ़ने बाद चोरी, रिश्वतखोरी, हिंसा, कट्टरता जैसे काम किये जायें।
गाँधी जी धर्म के प्रति कट्टर नहीं थे। उनके लिए उनका कर्तव्य ही उनका धर्म था। वे धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाते नहीं थे, इसलिए लेखक ने धर्म के विषय में गाँधी जी से सीखने के लिए कहा है।
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ki jab ho jaye toh apne nitamb achche se saaf kare gaddhe me haath daal daal kar