Board hindi giridhar ki kundaliya poem meaning
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गिरिधर की कुण्डलिया कविता में पैदल यात्रियों को लाठी की उपयोगिता के विषय में समझाते हुए कवी कभी कहते हैं कि धूल भरे दुर्गम रास्ते पर चलने वाले पथिक! तुम्हें लाठी जैसी उपयोगी वस्तु को भगवन की भांति अपने साथ रखना चाहिए
इसकी सहायता से मार्ग में पड़ने वाले गड्ढों, नदी तथा नाले आदि को पार करने में आसानी होगी | जंगल के रास्ते पर कुत्ता या अन्य जानवर आक्रमण करे तो मार भगाया जा सकता है
चोर लुटेरों से या दुश्मनों से अपनी रक्षा की जा सकती है|
कवि कहते हैं दूसरे सभी शस्त्रों के अपेक्षा लाठी अनेक कार्य में काम आती है| अतः यात्रा में इसे अपने साथ रखना चाहिए|
तीसरी कुंडली में कवि गुणवान व्यक्तियों का महत्व बताते है . कौए और कोयल की वाणी की तुलना करते हुए कवि ने कोयल की मधुर वाणी का महत्व बताया है कि कोयल की मधुर आवाज के कारण वह सबकी प्रिय है इसी प्रकार मीठा बोलने वालों को सभी पसंद करते हैं
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