bompose a dialogue between you and your family member on dashain celebration.
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नेपाली हिंदुओं के लिए दशईं सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। अनगिनत नेपालियों के लिए दशईं न सिर्फ एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। खासकर बच्चों में दशईं का काफी आकर्षण होता है, क्योंकि उनके लिए यह वक्त अपने हमउम्र रिश्ते के भाई-बहनों से मिलने, पतंगें उड़ाने, झूले झूलने, नए कपड़े पहनने और तमाम तरह की मस्ती करने का एक मौका होता है। पूरे साल भर में यही वक्त ऐसा होता है, जब खास तौर से पहाड़ों का मौसम सबसे खुशनुमा होता है। अक्तूबर में काठमांडू का आकाश बिल्कुल साफ गहरे नीले रंग का होता है। वैसे तो दशईं पिछले शनिवार को घट-स्थापना के साथ ही शुरू हो गई थी, लेकिन कर्मचारियों के लिए यह इस इतवार से शुरू हुई है, क्योंकि इसी दिन से सरकार ने अपनी छुट्िटयों की घोषणा की है। छुट्िटयों को आम तौर पर ऐसे वक्त के रूप में देखा जाता है, जब लोग अपने पुराने रिश्तों को फिर से जीते हैं और भरपूर मस्ती करते हैं। वयस्क लोगों के लिए यह अमूमन पत्ते खेलने, शराब पीने और लजीज खाने, खासकर मांसाहार का मौका होता है। मगर पकवान बनाने से लेकर दूसरी तमाम घरेलू जिम्मेदारियां औरतों के हिस्से में बोझ की तरह आती हैं। जब मर्द छुट्टियों के आनंद उठा रहे होते हैं और एक के बाद दूसरी मांगें उछाल रहे होते हैं, तब घर की औरतों को ही उनकी वे सारी मांगें पूरी करनी पड़ती हैं। यह काफी अफसोसनाक बात है। हम पहले भी लिख चुके हैं कि दशईं उन लोगों के लिए बड़ी परेशानी लेकर आती है, जो अपने पुश्तैनी गांव में इस त्योहार को मनाना चाहते हैं। बस का टिकट हासिल करने से लेकर तकलीफदेह सफर तक यह परेशानी बनी रहती है। लगभग बीस लाख लोग इस मौके पर काठमांडू से बाहर जाते हैं और ऐसा दूसरे किसी अन्य त्योहार में नहीं देखा जाता। यह दशईं गरीबों व मध्यवर्ग के लोगों को भी बोझ लग सकती है, जिन्हें हर चीज की महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल, इन तमाम समस्याओं के बावजूद दशईं की खुशियां नेपाल की हवा में महसूस की जा सकती हैं। यह दशईं कम से कम पिछले साल के मुकाबले तो बेहतर है ही।