Hindi, asked by saininaresh13626, 4 months ago

बरसे बदरिया सावन की।
सावन की. मन-भावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़-मुमड़ बहीदस से आया, दामिन दमकै झर लावन को।
नन्हीं-नन्हीं बूंदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।

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Answered by bhatiamona
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बरसे बदरिया सावन की।

सावन की. मन-भावन की।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।

उमड़-मुमड़ बहीदस से आया, दामिन दमकै झर लावन को।

नन्हीं-नन्हीं बूंदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।

भावार्थ :  मीराबाई के इन पदों में मीराबाई ने वर्षा ऋतु का सुंदर वर्णन किया है। मीराबाई कहती है कि सावन में जब बादलों से बरसात होने लगती है तो मौसम बेहद सुहावना हो जाता है। सावन का महीना जैसे ही आता है, मीराबाई के मन में उमंगे  जागने लगी हैं। यह महीना ऐसा लगता है, जैसे उन्हें कृष्ण के आने की सूचना दे रहा है। सावन के महीने में बादल चारों दिशाओं से घुमड़ घुमड़ कर आते हैं और बिजली निरंतर चमकती रहती है, जिससे वर्षा के आगमन की सूचना मिलती है। जब रिमझिम बारिश होने लगती है तो चारों तरफ सुहानी सी शीतल बयार बहने लगती है। इस मनमोहक वातावरण में मीराबाई का मन होता है कि वह अपने प्रभु श्रीकृष्ण की आराधना में मंगल गीत गाना शुरू कर दें।

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