बरसिंगा का पाणी पिणे जन--पाणी में अपनी छाया देखणा----सुंदर सिंगो पार अभिमान--पतले पर दुःख ----शिकारी का आना----बरसिंगे का भागना----झाडी में सिंगो का फैसना---परिणाम कहाणी लेखन
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बुरहानपुर. गुलई गांव में रहने वाले किसान मोहन चौधरी कोई जादूगर तो नहीं है, लेकिन ईश्वर से इन्हें ऐसी शक्ति मिली है कि इनके हाथों में चाबी लेकर जब घूमती है,तो इसकी रफ्तार बता देती है जमीन से पानी निकलेगा या नहीं। अब उनकी बुरहानपुर में इसी से पहचान हो गई, 25 सालों में 9 हजार बोरिंग से यह पानी निकाल चुके हैं।
बुरहानपुर जिले में भू जल स्तर तेजी से गिर रहा है। हालात यह है कि पूरे प्रदेश में बुरहानपुर ऐसा शहर है, जहां ७०० फीट तक पानी नहीं लगता। ऐसे में बोरिंग करने वाले की मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसलिए मोहन चौधरी को बुलाकर पहले यह तय कर लिया जाता है कि जमीन में पानी निकलेगा या नहीं।
मोहन चौधरी ने बताया कि वह १९९३ में गांव मेंं ही थे जब बंभाड़ा का एक व्यक्ति आया जो इसी तरह से जमीन का पानी देखता है बस उसे देखा और मैंने भी हाथ में साइकिल के पहिये के स्पोक लेकर घूमाए तो अपने आप घूमने लगे, जो यह बता रहे थे कि पानी कौन सी दिशा में है। उस जगह खड़े रहकर हाथों में चाबी का गुच्छा लेकर पकड़ा तो यह अपने आप तेजी से घूमने लगा। इससे पता चला की यहीं पर जमीन में पानी है। जब बोरिंग की तो पानी निकल आया। तब से अब तक १० हजार जगह की गई बोरिंग से पहले पानी बता चुके हैं। चौधरी ने बताया कि ऐसा जरूरी नहीं की पानी निकलेगा ही कई बार पानी नहीं भी निकलता है, लेकिन ९० प्रतिशत बात सच साबित होती है।
यह है खासियत
मोहन चौधरी ने बताया कि मप्र और महाराष्ट्र के कई शहरों में उन्हें बुलाया चुका है। चौधरी की खासियत यह है कि वे किसी प्रकार का कोई चार्ज नहीं लेते। न ही गाड़ी के डीजल के रुपयों की मांग करते हैं। चौधरी कहते हैं कि वे नि:शुल्क रूप से अपनी सेवा देते हैं। उनकी खुद की 18 एकड़ जमीन है, जिस पर उनका जीवन यापन चलता है।
इंदिरा कॉलोनी में हुई बोरिंग
इंदिरा कॉलोनी निवासी पांडूरंग राठौर ने बताया कि उनकी पत्नी वंदना राठौर पार्षद है। जनसहयोग से जब बोरिंग की शुरुआत की तो पहले चौधरी को बुलाया गया था, उन्होंने ही जगह तय की, जहां भरपूर पानी निकला। मंगलवार को उन्होंने स्टेट बैंक कॉलोनी में पानी खोजा, जहां उन्हें भानु भाई, पांडूरंग राठौर, डॉक्टर सुरेंद्र चौहान मौजूद थे।
एक जंगल में एक बारासिंघा रहता था । एक बार वह पानी पीने जा रहा था । जाते समय वह पूरा चौकस था । तालाब पर पहुंच कर जैसे ही वह पानी पीने लगा उसने अपनी छाया पानी में देखी। वह मन ही मन खुश हो रहा था । उसे अपने सुन्दर सिंघो पर अभिमान था । वह हर समय दुसरो की निंदा करता और अपने बड़े बड़े सिंघो ही प्रशंसा । एक बार उसे एक शिकार मिला । वह जैसे ही उसे दबोचना भागा तो उसके सिंह झाडी में फस गए और फिर दर्द से वह तड़पने लगा और तड़पते तड़पते उसकी मौत हो गयी ।