बरसते बादल ( 10th class ) summary in your own words .
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बरसते बादल कविता के कवि सुमित्रानंदन पंत जी है| सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था।
छायावादी तथा प्रगति-वादी अनुभूति के कवि सुमित्रानन्दन पंत ऐसे कवि रहे हैं, जिन्हें “प्रकृति के सुकुमार कवि” ‘प्रकृति के चितेरे कवि’, ‘कोमल कल्पना के कवि आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है ।
कविता में कवि वर्षा ऋतु की प्राकृतिक सुन्दरता का मनोहर वर्णन किया है | वर्षा ऋतु सब की प्रिय ऋतु है |धरती पर पेड़ -पौधे ,सभी प्राणी ,यहाँ तक की धरती भी ख़ुशी से झूम उठती है | इस ऋतु में घुमड़-घुमड़ कर गरजते एवं बरसते बादल अंधकार के बीच आशा का प्रकाश उत्पन्न करते है | धरती का कण-कण वर्ष के जल से भीग जाता है |बारिश में प्रकृति ओर प्राणी का रोम-रोम जाग उठता है | इस ऋतु में इंद्रा धनुष रंग से पारित होकर गीत गाते है | सब बहुत कुछ होते इस बरसात ऋतु में |