(बरसते बादल कविता के आधार पर प्राकृतिक के सौहार्द का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए) I have kept the pic of the lesson pls answer no spam pls in brackets there is a question pls answer
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बरसते बादल कविता के आधार पर प्राकृतिक के सौहार्द का वर्णन कुछ इस प्रकार है:
- यह कविता सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित है
वर्षा ऋतु सदा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। आसमान में फैले काले, घनघोर बादल बरसते हैं। बिजली की चकाचौंध चमक होती है। वर्षा की बूंदें रिमझिम बरसती हैं। पानी की धाराओं से धरती पुलकित होती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पड़ते हैं। पेड – पौधे हरियाली से झूमते हैं। पशु – पक्षी, मानव और हर प्राणी आनंद विभोर हो जाते हैं। विभिन्न जीवों के आनंद स्वरों से सारी प्रकृति मनमोहक होती है।
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आशा है ये आपके लिए सहायक होगी।
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