( बरषहिं जलद ) कविता का भावअथ्र सरल हिंदी मै लिखो । (10th standard poem barshi jald)
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प्रथम चार पंक्तियों का भावार्थ प्रभुराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कह रहे है कि ये देखो इस आसमान मे कितना भयंकर रूप प्राप्त किया है बादल कितने जोरो से गरज रहे है और इस वक्त मेरी प्रिया मेरे सीता मेरे पास नही है इसी कारण मेरा मन घबरा रहा है मुझे बहुत दर लग रहा है और बिजली भी कितने जोरो से चमक रही है इसे देख कर तो मेरे मन में दृष्ट विचारा रहे है मेरा मन स्थिर नही रहा है और बारिश कितनी जोर से गिर रही है ऐसा लगता है कि धरती के पास अँकर गिर रही हो देसी विद्वान, ज्ञान प्राप्त कीये लोग अपने नम्रता से जनता के सामने झुकते है ऐसेही नम्रता के कारण बारिश धरती के सामने झुक रही हो
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