बरषत हरषत लोग सब, करषत लखै न कोइ।
तुलसी प्रजा-सुभाग तें भूप भानु सो होइ।।८]
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गोस्वामी तुलसीदास ने अप्रत्यक्ष कर संग्रह की बात कही है। उन्होंने इसके लिए सूर्य का उदाहरण लिया है। सूर्य जिस प्रकार पृथ्वी से अनजाने में ही जल खींच लेता है और किसी को पता नहीं चलता, किन्तु उसी जल को बादल के रूप में इकट्ठा कर वर्षा में बरसते देखकर सभी लोग प्रसन्न होते हैं। इसी रीति से कर संग्रह करके राजा द्वारा जनता के हित में कार्य करना चाहिए।
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