बस फूलों का बाग नहीं, जीवन में लक्ष्य हमारा,
उससे आगे बहुत दूर है, बहुत दूर तक जाना ।।1।।
थोड़ी मात्र सफलता से ही, जो संतोष किए हैं,
घर की चारदीवारी में, जो मस्ती के साथ जिए हैं।
क्या मालूम उन्हें कितना, परियों का लोक सुहाना,
उससे आगे बहुत दूर है, बहुत दूर तक जाना ।।2।।
चलते-चलते नहीं पड़े, जिनके पैरों में छाले,
खुशियाँ क्या होती हैं, वे क्या जानेंगे मतवाले?
सुख काँटों के पथ से है, बचने का नहीं बहाना,
उससे आगे बहुत दूर है, बहुत दूर तक जाना ॥३॥
please explain
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बहुत अच्छा लगा सुनकर कविता
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