Hindi, asked by TanishqWanjari, 1 month ago

बस हथेली ही हमारी हमको, धूप में सायबान होती है | (इस पंक्तियों का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए)
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Answered by shishir303
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‘चंद्रसेन विराट’ द्वारा रचित “ऊँची उड़ान” नामक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है...

बस हथेली ही हमारी हमको, धूप में सायबान होती है।

भावार्थ : इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि वह स्वाभिमानी लोगों को स्वयं पर भरोसा होता है, वह किसी पर आश्रित नहीं होते। धूप में चलने पर छाया पाने के लिए उनकी हथेली ही सायबान यानि छाया का काम करती है अर्थात जीवन की किसी कठिन परिस्थितियों में उनके द्वारा किये गये खुद के  प्रयास ही उनके काम आते हैं।

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