"बस इतनी सी बात" इस पंक्ति का व्यंग स्पष्ट कीजिए। (कहानी - बात अठन्नी की)
( लेखक -सुदर्शन)
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‘बस इतनी सी बात’ पंक्ति के माध्यम से लेखक ने समाज के उस दोहरे रवैया पर तीखा कटाक्ष किया है, जिसमें एक निर्धन व्यक्ति के आत्मसम्मान का महत्व नही समझा जाता है। एक गरीब निर्धन व्यक्ति को मामूली से अपराध पर बहुत बड़ी सजा हो जाती है, जबकि बड़े बड़े धनवान, बाहुबली और दबंग लोग अनेक प्रकार के बड़े-बड़े अपराध और घोटाले करके भी साफ बच निकल जाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका और शासन प्रशासन केवल अमीर और सामर्थ्य लोगों को ही का ही साथ देते हैं।
बस इतनी सी बात केवल एक अठन्नी बात थी ही तो थी, जिसका बाबू जगत सिंह के सामने कोई बड़ा मोल नहीं था, लेकिन मात्र एक अठन्नी के लिए उन्होंने अपने नौकर रसीला को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बस इतनी सी बात के लिए उन्होंने रसीला को जेल तक भिजवा दिया।
बस इतनी से बात के लिए जज ने रसीला को कठोर सजा दी। बस इतनी सी बात थी, लेकिन समाज के निष्ठुर व सामर्थ मान दबंग लोगों के लिए इससे कोई सरोकार नहीं था।
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Answer:
बस इतनी सी बात' पंक्ति के माध्यम से लेखक ने समाज के उस दोहरे रवैया पर तीखा कटाक्ष किया है, जिसमें एक निर्धन व्यक्ति के आत्मसम्मान का महत्व नही समझा जाता है। ... बस इतनी सी बात थी, लेकिन समाज के निष्ठुर व सामर्थ मान दबंग लोगों के लिए इससे कोई सरोकार नहीं था।
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