) 'बस इतनी-सी बात'- पंक्ति का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
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बस इतनी सी बात' पंक्ति के माध्यम से लेखक ने समाज के उस दोहरे रवैया पर तीखा कटाक्ष किया है, जिसमें एक निर्धन व्यक्ति के आत्मसम्मान का महत्व नही समझा जाता है। ... बस इतनी सी बात थी, लेकिन समाज के निष्ठुर व सामर्थ मान दबंग लोगों के लिए इससे कोई सरोकार नहीं था।
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