बस को देखकर लेखक के मन में कौनसा भाव उमड़ पड़ा ?
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लेखक ने यह कथन व्यंग्य स्वरूप लिखा है। हम भारतीयों को यह संस्कार है कि हम बूढे-बुजुर्ग पुरुष या महिलाओं को अत्यंत सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं। बस भी अत्यंत पुरानी और जर्जर अवस्था में थी। इसलिए लेखक ने बस का मानवीकरण करते हुए लिखा है कि वयोवृद्ध बस को देखकर मन में श्रद्धा को. भाव उमड़ पड़ा
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Answer. लोग उस बस में यात्रा करने से हिचक रहे थे। लेखक ने भी जब बस को देखा तो वे स्वयं से पूछ बैठे कि क्या ये बस चलती भी है। बस कंपनी का एक हिस्सेदार उन्हें विश्वास दिलाने लगा कि डरने की कोई बात नहीं है। यह बस अनुभवी है, पुरानी है।
लेखक को जो लोग विदा करने आए थे, वे लोग उनकी तरफ इस तरह देख रहे थे मानो उन्हें अंतिम विदा दे रहे हों। बस जब चली तो ऐसे आवाज़ कर रही थी जैसे इंजन यात्रियों के सीट के नीचे ही लगा हो। बस का प्रत्येक हिस्सा अलग-अलग हिल रहा था। लेखक लिखते हैं कि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि वे सीट पर बैठे हैं या सीट उन पर बैठी है.