बस की यात्रा का सारांश लिखिए ncert book 8
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बस की हालत बहुत ही खस्ता थी। लेखक के अनुसार उसबस के अंदर बैठना अपने प्राणों का बलिदान देने जैसा थाऔर उसका हिस्सेदार - साहब तो पूरे रास्ते उस बस कीतारीफ़ों के पुल बाँधते रहे थे। उसकी बातें सुनकर तो उनकोये लग रहा था कि ये नई बस हो। जब गिरते - पड़ते वह बसचल रही थी , तो नाले के ऊपर पूलिया पर उसके खराब होजाने पर सबके प्राण संकट में पड़ सकते थे। लेखक केअनुसार अगर बस स्पीड पर होती तो पूरी बस नाले पर जागिरती , पर बस का मालिक था कि वो बस की खस्ता हालतमें भी उसे चला रहा था पर उससे ये न हो सका कि वो बसके टायर ही नए लगवा लेता। लेखक को लगा हम सबसेमहान तो ये है जो इसकी ऐसी हालत देखकर भी इस बस सेयात्रा करने में तनिक भी घबराया नहीं। वाकई में ये काबिले -तारीफ़ है कि प्राणों की परवाह न कर इस पर बैठा है। तोउसकी उस पर विशेष श्रद्धा जाग गई।
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