बस की यात्रा पाठ में जिस सरकारी व्यवस्था पर चोट किया गया है उसे अपने शब्दों में लिखें।
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बस की यात्रा पाठ में जिस सरकारी व्यवस्था पर चोट किया गया है उसे अपने शब्दों में लिखें।
बस की यात्रा हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गई है| इस पाठ में कवि ने यातायात की दुर्व्यवस्था का वर्णन किया गया है |
बस की हालत देखकर लेखक को हंसी आती है वह कहते है बस तो पूजा जरने के योग्य है | इंजन के स्टार्ट होते ही ऐसा लगता है की पूरी बस ही इंजन हो। अभी कुछ समय की यात्रा की तय की थी कि बस आगे चल कर रुक गई और पता चलता है कि बस की पैट्रोल की टंकी में छेद था | बस की साईट टूटी हुई थी | जब बस चल रही थी , तब वह हिल रही थी | बस की हालत बहुत खराब थी | बस में सफर करने के लिए हिम्मत चाहिए |
बस कभी भी किसी जगह में खराब हो सकती थी | बस की हालत देखकर भारत के असहयोग आंन्दोलन की याद आ गई थी | बस की ब्रेक कभी भी फेल हो सकती थी | बस के टायर कभी भी रुक सकते थे | बस कभी भी धोखा दे सकती थी |