Hindi, asked by dhruvrohatgi20p9qomk, 1 year ago

बस की यात्रा पर निबंध लिखो with. 1 प्रस्तावना .2 yatra ka shubh arambh. 3. yatra ka anubhav. 4. yatra samapti par 5. upsanghar

Answers

Answered by parijain3110
139
एक दिन बड़ा सुहावना मौसम था । मैंने सोचा कि उस दिन शाम को कनाट प्लेस की सैर की जाये । कई दिनों से भयंकर गरमी पड़ रही थी लेकिन उस दिन मौसम अच्छा था ।

कई दिनों से भयंकर गरमी के कारण मैं बाहर नहीं निकला था । मैंने अपनी माँ से कुछ रुपये लिये और मैं लगभग 6 बजे शाम घर से निकल पड़ा । मुझे लाल किले के बस स्टॉप से ओडियन के लिए बस पकड़नी थी ।

बस स्टॉप का दृश्य:

लाल किले का बस स्टाप मेरे घर के नजदीक ही है । मैं कुछ मिनटों में ही वहां पहुंच गया । बसों में बड़ी भीड़ थी । दफ्तर बन्द होने का समय था । मेरे बस स्टॉप पर लम्बी लाईन लगी हुई थी । मैं भी उसी लाइन में सबसे पीछे खडा हो गया ।

थोड़ी देर में मेरे पीछे भी बहुत-से लोग खड़े हो गये । थोड़ी देर में कई बसें निकलीं । कुछ बसें तो रुकती ही नहीं थी और कुछ बसें दो-एक यात्रियों को उतारकर और उतने ही लोग चढा कर फौरन चल देती । लाइन बड़ी धीरे-धीरे खिसक रही थी । आधा घंटा से अधिक प्रतीक्षा के बाद एक बस आई, जो एकदम खाली थी ।

यह बस लाल किला से बनकर ही चलती थी । अब तेजी से लाइन आगे बढ़ने लगी । अभी मुश्किल से 10-15 व्यक्ति ही बस में चढ़ पाये थे कि लोगों का धैर्य टूटने लगा । उन्होंने लाइन तोड़ दी और बस पर धावा बोल दिया । खूब धक्कम-पक्का और कहा-सुनी होने लगी । कंडक्टर ने कई बार भीड़ को शान्त करना चाहा, लेकिन किसी ने उसकी कोई बात नहीं सुनी ।

बस के अन्दर की घटना:

मैं बड़ी उत्कंठा से अपना नम्बर आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन लाइन के टूट जाने पर मुझे भी आगे बढ़ना पड़ा । किसी तरह धक्का-मुक्की करके मैं भी बस में चढ़ गया । अन्दर आकर मुझे बैठने को एक सीट मिल गई और मैंने राहत की साँस ली ।

इतने में मेरी नजर एक बहुत वृद्ध पुरुष पर पड़ी, जो मेरी सीट के पास खड़े थे । मैंने उनकी ओर देखा । वे बड़े बेबस से खड़े दीख रहे थे । मुझसे न रहा गया और मैंने उनके प्रति आदर दिखाते हुए उनसे अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया और मैं उठ खड़ा हुआ ।

इसी समय मैने देखा कि भीड़ के बीच से फैशनेबल युवती बड़ी तेजी मेरी सीट की ओर लपकी और मुझे तथा उन वृद्ध सज्जन को कोहनी मारती हुई मेरी सीट पर बैठ गई । वृद्ध सज्जन उस महिला का मुँह निहारते रह गए । महिला को किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं हुई । मुझे बड़ा गुस्सा आया, लेकिन मैं कुछ बोल न सका ।


parijain3110: may it help you
dhruvrohatgi20p9qomk: no bro but thanks
parijain3110: i am girl
Answered by AKS631371
59

Explanation:

लाल किले का बस स्टाप मेरे घर के नजदीक ही है । मैं कुछ मिनटों में ही वहां पहुंच गया । बसों में बड़ी भीड़ थी । दफ्तर बन्द होने का समय था । मेरे बस स्टॉप पर लम्बी लाईन लगी हुई थी । मैं भी उसी लाइन में सबसे पीछे खडा हो गया ।

थोड़ी देर में मेरे पीछे भी बहुत-से लोग खड़े हो गये । थोड़ी देर में कई बसें निकलीं । कुछ बसें तो रुकती ही नहीं थी और कुछ बसें दो-एक यात्रियों को उतारकर और उतने ही लोग चढा कर फौरन चल देती । लाइन बड़ी धीरे-धीरे खिसक रही थी । आधा घंटा से अधिक प्रतीक्षा के बाद एक बस आई, जो एकदम खाली थी ।

यह बस लाल किला से बनकर ही चलती थी । अब तेजी से लाइन आगे बढ़ने लगी । अभी मुश्किल से 10-15 व्यक्ति ही बस में चढ़ पाये थे कि लोगों का धैर्य टूटने लगा । उन्होंने लाइन तोड़ दी और बस पर धावा बोल दिया । खूब धक्कम-पक्का और कहा-सुनी होने लगी । कंडक्टर ने कई बार भीड़ को शान्त करना चाहा, लेकिन किसी ने उसकी कोई बात नहीं सुनी ।

Similar questions