बसो मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।।
छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल
हे हे श्री कृष्ण आप आकर मेरी आंखों में मन को हरने वाली अर्थात मोहित करने वाली जिससे बड़े नेत्र हैं जिनके होठों पर अमृत की वर्षा करने वाली मुरली बस्ती है और जिनके गले में बेंजती माला है
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It's Mirabeau's poem .
But what are you asking .
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