बसो मेरे नैनन में नंदलाल मोहनी मूरत सावरी सुरति नैना बने विसाल अधर सुधारा से मुरली राजति उर बैजंती माल सुंदर घटिका कटि तट सोभित नूपुर सबद रसाल मीरा के प्रभु संतन सुखदाई भक्त बछल गोपाल सप्रसंग व्याख्या कीजिए
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राधा जी कहती हैं की मेरे नेत्रो में बस जाओ नंदलाल
विशाल नेत्रों वाले नंदलाल जी आपकी सूरत मोहिनी और साउली है.
मुरलीधर सहित बैजंती माला धारण किये हुए सुशोभित हो रहे हैं.
घाट के तट पर सोभित , नूपुर सबद रसाल .
प्रभु संतान की सुखदाई मीरा, गोपाल की भक्त है।
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