बसो मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।।
छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।
Answers
Answered by
227
राधा जी कहती हैं की मेरे नेत्रो में बस जाओ नंदलाल
विशाल नेत्रों वाले नंदलाल जी आपकी सूरत मोहिनी और साउली है.
मुरलीधर सहित बैजंती माला धारण किये हुए सुशोभित हो रहे हैं.
घाट के तट पर सोभित , नूपुर सबद रसाल .
प्रभु संतान की सुखदाई मीरा, गोपाल की भक्त हैं.
विशाल नेत्रों वाले नंदलाल जी आपकी सूरत मोहिनी और साउली है.
मुरलीधर सहित बैजंती माला धारण किये हुए सुशोभित हो रहे हैं.
घाट के तट पर सोभित , नूपुर सबद रसाल .
प्रभु संतान की सुखदाई मीरा, गोपाल की भक्त हैं.
Answered by
149
बसो मेरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरति, साँवरि, सुरति नैना बने विसाल।।
अधर सुधारस मुरली बाजति, उर बैजंती माल।
व्याख्या -> मीराबाई प्रभु श्रीकृष्ण की परमभक्त हैं उनकी भक्ति में लीन वो श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं हे नंदलाल श्रीकृष्ण! आप आकर मेरी आँखों में मन को हरने वाली अर्थात मोहित करने वाली जिसके बड़े नेत्र हैं ऐसी सूरत बनकर बस जाओ | जिनके होंठों पर अमृत की वर्षा करने वाली मुरली बजती है और जिनके गले में बैंजंती माला है |
Similar questions