बस में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलने कया तात्पर्य था?
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'सविनय अवज्ञा आंदोलन' 1930 में में सरकारी आदेशों का पालन न करने के लिए किया था। इसमें अंग्रेज़ी सरकार के साथ सहयोग न करने की भावना थी। खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही , उसी तरह यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी।
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बस में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलने का अर्थ है बस की स्थिति खराब थी फिर भी रुक रुक कर चल रही थी यह बात लेखक को सविनय अवज्ञा आंदोलन की याद दिलाती है कि जब भारतीयों को अंग्रेजो से सहयोग की कोई उम्मीद नहीं थी फिर भी अपना आंदोलन जारी रखा। उसी प्रकार बस का कोई भी हिस्सा ठीक नहीं था व सभी भागों का आपस में कोई सहयोग नहीं था।
- लेखक जिस बस में सफर कर रहे थे वह बस पूरी तरह से खराब स्थिति में थी। ऐसा लग रहा था कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है।
- जब भारतीयों ने अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन किया था। गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा , दांडी यात्रा की। उन्होंने समुद्री नमक बनाकर अंग्रेजो के कानून का उलंघन किया था।
- तब लेखक कहते है कि गांधीजी के असहयोग व सविनय अवज्ञा आंदोलन के वक़्त जवान रही होगी।
- लेखक को कंपनी के हिस्सेदार पर भी गुस्सा अा रहा था क्योंकि उस लोगो की जान की परवाह नहीं थी। उसका लक्ष्य केवल पैसा कमाना था।
#SPJ6
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